हमारे बारे में
हिन्दी सुलेख के बारे में
हिन्दी विकास सुलेख संस्था (NGO)
हिन्दी विकास सुलेख संस्था विद्या रसिकों का एक समूह है l समाज के रचनाशील एवं विभिन्न विधियों से जुड़े व्यक्तित्वों का एक परिवार है l इसकी स्थापना के पीछे मानव समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति एवं मातृभाषा की सेवा के उत्तरदायित्वों का विस्तार करते हुए अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर है l
सुलेख, व्यक्ति का पहला परिचय होता है l या यूँ कहें कि:- “सुलेख मनुष्य के जीवन का आईना होता है” l यह भी सच है कि ‘दोषपूर्ण लेखनी – अधूरी शिक्षा का प्रमाण है’ और अशुद्ध लेखनी आज सारे संसार की समस्या बनी हुए है l जिसके हल के लिए हिन्दी विकास सुलेख संस्था इंदौर (भारत) की स्थापना वर्ष 2000-2001 में की गई l
संस्था के संस्थापक सुलेखाचार्य श्यामाचरण (श्याम) शर्मा के विचारों का एक सुन्दर अक्षरों का प्यारा सा “अक्षरपुंज” है जो चहुँओर शिक्षा के बहुमुखी विकास के लिए कटिबद्ध हैl
संस्कृत, हिन्दी, मराठी, गुजराती तथा अंग्रेजी की लिखावट तथा वाकशुद्धि पर व्यवस्थित तथा सुनिश्चित ढंग से मार्गदर्शन कर, शुद्ध सुलेख की प्रेरणा का मार्ग प्रशस्त करती है l
आपको यह जानकार प्रसन्नता होगी की मात्र 45 मिनिट की अल्प – अवधि के व्याख्यान में अत्यधिक दोषपूर्ण लेखनी में हाथों – हाथ चमत्कारी सुधार हो जाता है l
संस्था के उद्देश्य
संस्था समाज की सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा है l संस्था की नैतिकता की ग्यारंटी सामाजिक विकास की होती है l उसी क्रम में ‘ हिन्दी विकास सुलेख संस्था ’ समाज, मानवीयता के समग्र विकास एवं छात्र-छात्राओं के शैक्षणिक स्तर को बढ़ाने का कार्य विगत तीन दशकों से कर रही है l युवाओं में मातृभाषा के सम्मान, प्रशिक्षण, सहज जीवन, मार्गदर्शन, जीवन जीने की कला तथा राष्ट्रप्रेम की भावना भरना है l संस्था जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतो का पालन करने के लिए भी प्रतिज्ञाबद्ध है l
शिक्षा का स्तर बढ़ाना l
ख़ुशी के लिए प्रेरित करना l
बेहतर स्वास्थ्य पर संगोष्ठी l
संगीतमय जीवन l
प्रगतिशील भारत की रचना l
सुलेखाचार्य के बारे में दो बाते ....
सुलेखाचार्य के बारे में दो बाते ...
श्री श्याम शर्मा
सुलेखाचार्य श्री श्याम शर्मा का जन्म मध्यप्रदेश मालवा के देवास ज़िले में, 2 अक्टूबर सन 1965 को एक सामान्य किसान परिवार में हुआ इनके पिता का नाम श्री उमाशंकर जी शर्मा एवं माँ का नाम श्रीमती हीरकुँवर शर्मा है l
सुलेखाचार्य जी ने मध्यप्रदेश सरकार के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग में सुदीर्घ सेवा देनें के उपरान्त ऐच्छिक सेवा निवृत्ति ले ली एवं देवनागरी लिपि के सुलेख को समृद्ध करने के संकल्प को जीवन का लक्ष्य बना लिया l
स्वयंसेवी लघु प्रयासों से आज तक लाखों विद्यार्थियों एवं समाजजन की लेखन शैली को निखारा है वो भी नि:शुल्क क्योंकि गरज ये थी कि :-
मातृ भाषा परित्यज्ये यो अन्य भाषा मुपास्ते।
तत्र यांति ही ते देश: यत्र सूर्यो न भासते ।।
सम्मान एवं पुरस्कार

शिक्षा के क्षेत्र में 30 वर्ष नि:शुल्क सेवा की l

इंदौर ज़िला साक्षरता अभियान 1992 में जिला साक्षरता पुरस्कार से सम्मानित l

म.प्र. शासन द्वारा सन् 1995 में साक्षरता अवार्ड से सम्मानित किया गया l

म.प्र. शासन द्वारा सन् 2010 में सर्वश्रेष्ठ अधिकारी का पुरस्कार से सम्मानित l

मालवा श्रमजीवी पत्रकार संघ सम्मान समारोह में (2009) में म.प्र. शासन के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री द्वारा सुलेख सम्मान l

धरम सज्जन ट्रस्ट जयपुर द्वारा धरम सज्जन अवार्ड वर्ष (1999) l

थियोसोसायटिकल एकं विकास वर्टून ट्रस्ट द्वारा गुजरात भावनगर में 2001 में समुद्री रसायन विभाग द्वारा सम्मानित

गायत्री शक्ति पीठ शाखा इंदौर द्वारा 2009 में विशिष्ट सेवा सम्मान l

स्वर्गीय भालचंद जैन सम्मान 2010

प्रगति सेवा संस्थान राघोगढ़ द्वारा प्रगति अवार्ड 2011 में दिया गया l

मातोश्री अहिल्या पुण्यतिथि में मालवरत्न अवार्ड से सम्मानित (2023) l

विद्या भारती समिति कालापीपल द्वारा सम्मान l

शिक्षा के क्षेत्र में 30 वर्ष नि:शुल्क सेवा की l

इंदौर ज़िला साक्षरता अभियान 1992 में जिला साक्षरता पुरस्कार से सम्मानित l

म.प्र. शासन द्वारा सन् 1995 में साक्षरता अवार्ड से सम्मानित किया गया l

म.प्र. शासन द्वारा सन् 2010 में सर्वश्रेष्ठ अधिकारी का पुरस्कार से सम्मानित l

मालवा श्रमजीवी पत्रकार संघ सम्मान समारोह में (2009) में म.प्र. शासन के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री द्वारा सुलेख सम्मान l

धरम सज्जन ट्रस्ट जयपुर द्वारा धरम सज्जन अवार्ड वर्ष (1999) l

थियोसोसायटिकल एकं विकास वर्टून ट्रस्ट द्वारा गुजरात भावनगर में 2001 में समुद्री रसायन विभाग द्वारा सम्मानित

गायत्री शक्ति पीठ शाखा इंदौर द्वारा 2009 में विशिष्ट सेवा सम्मान l

स्वर्गीय भालचंद जैन सम्मान 2010

प्रगति सेवा संस्थान राघोगढ़ द्वारा प्रगति अवार्ड 2011 में दिया गया l

मातोश्री अहिल्या पुण्यतिथि में मालवरत्न अवार्ड से सम्मानित (2023) l

विद्या भारती समिति कालापीपल द्वारा सम्मान l
हमारी भावी योजनाऐं
1.) हिन्दी विकास यात्रा
हिन्दी विकास यात्रा कश्मीर से कन्याकुमारी तक सम्पूर्ण भारत में जनसहयोग से निकाली जावेगी । यह यात्रा भाषीय सेतु से सम्पूर्ण देश को एक सूत्र में बाँधेगी । यात्रा का शुभारम्भ श्रीनगर के लाल चौक से होगा तथा कन्याकुमारी के विवेकानंद स्मारक पर खत्म होगा ।
देश की समस्त राजधानीयों में लोक संस्कृति से ओतप्रोत आयोजन होंगे ।
यात्रा का मूल उद्देश्य मातृभाषा को सशक्त बनाना है , विद्यार्थीयो के साथ~साथ शिक्षको व पालको को भी इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ी की भी मज़बूत पकड़ अपनी मातृभाषा पर बनी रहे और मातृभाषा का विकास अविरल चलता रहे ।
इस यात्रा से हमारा शिक्षा तंत्र मज़बूत होगा और देशवासी भी आपस में इसके माध्यम से एक दूसरे से जुड़ेंगे ।इस यात्रा में 20 स्वंम सेवकों का समूह होगा जो देश ~ प्रदेश स्तर पर सामंजस्य बैठाने का कार्य करेंगे। यह यात्रा जन~जन की यात्रा होगी । इसमें सभी राजनीति दल , सामाजिक संस्थाएं , शैक्षणिक संस्थाएं सभी भाग लेंगे । शासन के सहयोग से इस यात्रा के बाद यह अभियान अन्य हिन्दी भाषीय देशों में भी प्रस्थान करेगा ।
2.) हिन्दी कुलम विश्वविद्यालय
महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जी द्वारा जो हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी उससे प्रेरणा लेते हुए, हिन्दी विकास यात्रा के दौरान दान~दाताओं से प्राप्त दान कर एक सर्वभाषीय विश्वविद्यालय की स्थापना की जावेगी । जिसमे समस्त भारतीय भाषाओं के साथ~साथ प्रचलित विदेशी भाषाओं का अध्यन कराया जावेगा और इसके साथ- साथ ही विश्वविद्यालय में गौशाला, जैविक खेती का प्रावधान रहेगा इससे प्रत्येक विद्यार्थी प्रकृति से जुड़ कर इसके महत्व को समझेंगे ।
प्रत्येक छात्र अपने शिक्षा काल में कम से कम 75 पौधें लगायेगा, और प्रायोगिक परीक्षा में कितने पेड़ लगाये और उनमे से कितने जिन्दा है , उसी के आधार पर अंक मिलेंगे। सर्वांगीण नागरिक तैयार करना हमारा उद्देश्य होगा ।
इसी तर्ज़ पर एक ही छत के नीचे भाँति-भाँति प्रांत के बच्चे देश की सभी भाषाये सिख सकेगे, और देश संस्कृति रूपी धरोहर को सिंचित कर सकेंगे ।