हम क्या करते हैं
हम करते है मानवसेवा और सामजिक कर्तव्यों का निर्वाह
शिक्षा व्यक्ति को श्रेष्ठ बनाती है कहते है दुनिया की खूबसूरती आँखों से नहीं शिक्षा से देखी जा सकती है l शिक्षा का सही अर्थ है सीखना – सिखाना और यह एक जीवनपर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है l
कबीर कहते है कि ‘ जन्म के पालने से मृत्यु शैय्या ’ तक भी ज्ञान प्राप्त किया जाए तो भी अधूरा रहेगा l शिक्षा कौशल आधारित हो l हम भी पिछले 40 वर्षो से संस्कृत, हिन्दी, मराठी, गुजराती और इंग्लिश और अन्य भारतीय भाषाओं एवं बोलियों के अनिवार्य बिन्दुओं को खुलकर बताते – वो भी निःशुल्क सिखाते है l
“ मातृभाषा परित्यज्य यो अन्य भाषामुपास्ते l
तत्र यांति हि देश: यत्र सूर्यो न भासते” ll
आप जानते है कि”सुलेख (Beautiful Handwriting) के बिना शिक्षा पूर्णत: को प्राप्त नहीं कर सकती, कहते है दोषपूर्ण एवं सुन्दरता से परे लेखनी अधूरी शिक्षा का प्रमाण है l भारतीय भाषाओं पर हम पिछले 40 वर्षो से सम्पूर्ण देश में बच्चे, बूढ़े, जवानों को 45 मिनिट की अल्पसमयावधि के नि:शुल्क व्याख्यान में अत्यधिक कुरुप एवं दोषपूर्ण लेखनी में भी हाथों-हाथ चमत्कारी सुधार करवा देते हैं l
ख़ुशी
ख़ुशी
हम निकले हैं ख़ुशी देने क्योंकि, ख़ुशी वह देने से ही बढ़ती है l वह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का स्त्रोत है l मुस्कराहट बाँटते चलिए क्योंकि प्रसन्नता ईश्वर प्रदत्त ऐसा वरदान है जिसमे भलाई ही भलाई समाई है l हमारे व्याख्यान के पूरे 45 मिनिट प्रशिक्षार्थियों के मुख से हँसी नहीं जाती क्योंकि :-
हँसना पुण्य है, हँसाना परम पुण्य l
जो इंसान हँसता है वह, ईश्वर तुल्य होता है
और जो इंसान औरों को हँसाता है, ईश्वर उसकी आराधना करता है l
हँसमुख चेहरे में ईश्वर का वास होता है l
हमेशा ख़ुश रहना ईश्वर की सर्वोपरि भक्ति है l हमारे व्याख्यान बहुत मनोरंजक शैली में होते है l
स्वास्थ्य
आरोग्य शरीर ही ख़ुशी और संतुष्टि दे सकता है l इसलिए हमारी संस्था समय – समय पर शरीर को स्वस्थ रखने के लिए स्वास्थ्य शिविर FIRST AID TRAINING (प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण) कार्यशाला भी आयोजित करती है l
भाषा व्याख्यान में हम स्वस्थ रहने के कई तरीकों को दिनचर्या में लाने के लिए प्रेरित करते है जिसमे कई लोगों को फायदा हुआ है l हमारे सुलेखाचार्य श्री श्याम 59 वर्ष के हैं पर उनको देखने से आप उनकी उम्र का अंदाज़ा नहीं लगा सकते ! वे आज भी 40 वर्ष के युवा प्रतीत होते है l
अपने जीवन पर किए गए प्रयोगों से ही हम स्वास्थ्य की प्रेरणा भरते हैं l कहते है ‘ स्वास्थ्य धन से बड़ा, कोई धन नहीं है l ’ , उन्होंने अपने शरीर को स्वास्थ्य की प्रयोगशाला बना रखा है l
स्वास्थ्य
आरोग्य शरीर ही ख़ुशी और संतुष्टि दे सकता है l इसलिए हमारी संस्था समय – समय पर शरीर को स्वस्थ रखने के लिए स्वास्थ्य शिविर FIRST AID TRAINING (प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण) कार्यशाला भी आयोजित करती है l
भाषा व्याख्यान में हम स्वस्थ रहने के कई तरीकों को दिनचर्या में लाने के लिए प्रेरित करते है जिसमे कई लोगों को फायदा हुआ है l हमारे सुलेखाचार्य श्री श्याम 59 वर्ष के हैं पर उनको देखने से आप उनकी उम्र का अंदाज़ा नहीं लगा सकते ! वे आज भी 40 वर्ष के युवा प्रतीत होते है l
अपने जीवन पर किए गए प्रयोगों से ही हम स्वास्थ्य की प्रेरणा भरते हैं l कहते है ‘ स्वास्थ्य धन से बड़ा, कोई धन नहीं है l ’ , उन्होंने अपने शरीर को स्वास्थ्य की प्रयोगशाला बना रखा है l
संगीत
आदिकाल में संगीत ईश्वर की आराधना का मुख्य मार्ग रहा है l संगीत बहुत ही शक्तिशाली माध्यम है l संगीत साधना है और संगीत ही एकाग्रता का शिखर है l इसलिए तो स्वर ही ईश्वर है संगीत ही ध्यान है l
हम आपको संगीत में डुबकियाँ लगवाते हैं l आयोजनों के माध्यम से, और विशेष कर भाषाई व्याख्यान ही गीत – संगीत से शुरू करते हुए कई गीतों और संगीत के महान ऋषियों का गुणगान करते हैं l प्रशिक्षार्थियो में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं क्योंकि सुलेखाचार्य जी स्वयं संगीत में विशारद् है l
संगीत
आदिकाल में संगीत ईश्वर की आराधना का मुख्य मार्ग रहा है l संगीत बहुत ही शक्तिशाली माध्यम है l संगीत साधना है और संगीत ही एकाग्रता का शिखर है l इसलिए तो स्वर ही ईश्वर है संगीत ही ध्यान है l
हम आपको संगीत में डुबकियाँ लगवाते हैं l आयोजनों के माध्यम से, और विशेष कर भाषाई व्याख्यान ही गीत – संगीत से शुरू करते हुए कई गीतों और संगीत के महान ऋषियों का गुणगान करते हैं l प्रशिक्षार्थियो में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं क्योंकि सुलेखाचार्य जी स्वयं संगीत में विशारद् है l
पर्यावरण
प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए पेड़ – पौधे लगाना ज़रुरी है l प्राणवायु हो या छाया, फूल या फल हमारे पर्यावरण को लाभ पहुँचाते है l इसी क्रम में अभी तक हमने 500 से अधिक पौधे लगाए हैं l
इसके साथ – साथ उनकी परवरिश भी नवजात शिशुओं की तरह की है l आज उनसे हज़ारो फल मिल रहे हैं l मनुष्य जीवन में यह पुण्य कार्य प्रत्येक इंसान को करना ही चाहिए ताकि हमारा जीवन सुरक्षित रहे स्वस्थ रहें l
पर्यावरण
प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए पेड़ – पौधे लगाना ज़रुरी है l प्राणवायु हो या छाया, फूल या फल हमारे पर्यावरण को लाभ पहुँचाते है l इसी क्रम में अभी तक हमने 500 से अधिक पौधे लगाए हैं l
इसके साथ – साथ उनकी परवरिश भी नवजात शिशुओं की तरह की है l आज उनसे हज़ारो फल मिल रहे हैं l मनुष्य जीवन में यह पुण्य कार्य प्रत्येक इंसान को करना ही चाहिए ताकि हमारा जीवन सुरक्षित रहे स्वस्थ रहें l
अध्यात्म
अध्यात्म एक ऐसा ईश्वर विज्ञान है जो हमारे जीवन में प्रेम, ख़ुशी, शान्ति और विवेक प्रदान करता है l आत्म – अध्ययन ही अध्यात्म है जिसे सरल भाषा में स्वयं का अध्ययन कह सकते हैं l आत्म साक्षात्कार ही अध्यात्म है l
हम धन नहीं; धर्म अभिनेता (स्वामी विवेकानंद) के रूप में इंसान कमाने निकले है जो धर्म संसद में भारत वर्ष का ध्वज स्थापित कर सके l ज्ञान और सत्य की खोज में हम भाषाई यात्रा पर है l इस यात्रा में हम प्रशिक्षार्थियो को प्रेम, करुणा, परोपकार, आत्मा के प्रेम पर बल देते हैं l यह सही है कि अध्यात्म का ज्ञान कोई किसी को नहीं दे सकता किन्तु इसे अनुभव से प्राप्त करने में पहल तो हो ही सकती है l
अध्यात्म
अध्यात्म एक ऐसा ईश्वर विज्ञान है जो हमारे जीवन में प्रेम, ख़ुशी, शान्ति और विवेक प्रदान करता है l आत्म – अध्ययन ही अध्यात्म है जिसे सरल भाषा में स्वयं का अध्ययन कह सकते हैं l आत्म साक्षात्कार ही अध्यात्म है l
हम धन नहीं; धर्म अभिनेता (स्वामी विवेकानंद) के रूप में इंसान कमाने निकले है जो धर्म संसद में भारत वर्ष का ध्वज स्थापित कर सके l ज्ञान और सत्य की खोज में हम भाषाई यात्रा पर है l इस यात्रा में हम प्रशिक्षार्थियो को प्रेम, करुणा, परोपकार, आत्मा के प्रेम पर बल देते हैं l यह सही है कि अध्यात्म का ज्ञान कोई किसी को नहीं दे सकता किन्तु इसे अनुभव से प्राप्त करने में पहल तो हो ही सकती है l
इस प्रकार चरण 01 से लगाकर 07 के माध्यम से हमने, जीवन के ध्येय को मानव – सेवा के रूप में लगा रखा है l
आप भी किसी भी रूप में सामाजिक दायित्व का निर्वाह कर हमारे पुनीत प्रकल्प से जुड़ सकते है l
स्वागत आपका … प्रेम मनुहार हमारी …
- शुभ-भाव